खोला गांव के ऊपर एक पहाड़ी पर श्रीनगर से तीन किलोमीटर पैदल यात्रा एवं आठ किलोमीटर की सड़क यात्रा की दूरी पर है।
माना जाता है कि अष्टावक्र मुनि ने यहां भगवान शिव की आराधना की थी। प्रसन्न होकर भगवान शिव, मुनि के सामने प्रकट हुए तथा वरदान के अनुसार वहां रहने का निश्चय किया। स्वयं मंदिर देखने में साधारण ही है। यह एक 15 फीट ऊंचा ढांचा है जहां गर्भ गृह में एक स्वयंभू शिवलिंग के ऊपर आठ पांवों पर टिका एक कलश है। जब मंदिर का पुनरूद्धार हो रहा था तब शिवलिंग की जड़ पता नहीं चलने के कारण खुदाई रोक दी गई। लोगों का ऐसा भी विश्वास है कि शिवलिंग की लंबाई बढ़ रही है। मंदिर में गणेश एवं नंदी की प्रतिमाएं भी हैं।
मंदिर एक सुंदर स्थान पर अवस्थित है जहां एक ओर अलकनंदा की घाटी का मनोरम दृश्य है तथा दूसरी ओर देवदार पेड़ों से भरे पौड़ी की पहाड़ियां हैं।
शनिवार, 29 नवंबर 2008
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