प्रत्येक कोष्ठक में अक्षत, जौ, गेहूँ रखें। पहले कोष्ठक में गौरी का आह्वान किया जाता है। लेकिन गौरी के आह्वान से पहले भगवान गणेश के आह्वान की परंपरा है। गणेश का आह्वान पुष्प और अक्षत से किया जाता है। अन्य कोष्ठकों में मंत्र उच्चारित करते हुए आह्वान करें।
षोडशमातृका चक्र
आत्मनः 11 कुलदेवता 12 लोकमातरः 8 देवसेना मेधा 4
तुष्टिः 15 मातरः 11 जया 7 शची 3
पुष्टिः 10 स्वाहा 10 विजया 6 पद्मा 2
धृतिः 13 स्वधा 9 सावित्री 5 गौरी गणेश 1
आह्वान एवं स्थापना मंत्र
किसी भी देवी या देवता की पूजा में आह्वान का सबसे अधिक महत्व होता है क्योंकि उस देवी या देवता के आह्वान के बिना पूजा कार्य प्रारंभ नहीं होता है। षोडशमातृका पूजन में महादेवियों का आह्वान और स्थापना के लिए निम्न मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। इस मंत्रों में षोडशमातृकाओं का आह्वान किया गया है :-
ॐ ॐ गौर्यै नमः, गौरीमावाहयामि, स्थापयामि ।
2. ॐ पद्मायै नमः, ॐ पद्मावाहयामि, स्थापयामि ।
3. ॐ शच्यै नमः, शचीमावाहयामि, स्थापयामि ।
4. ॐ मेधायै नमः, मेधामावाहयामि, स्थापयामि ।
5. ॐ सावित्र्यै नमः, सावित्रीमावाहयामि स्थापयामि ।
6. ॐ विजयायै नमः, विजयामावाहयाम, स्थापयामि ।
7. ॐ जयायै नमः जयामावाहयामि, स्थापयामि ।
8. ॐ देवसेनायै नमः, देवसेनामावाहयामि, स्थापयामि ।
9. ॐ स्वधायै नमः, स्वधामावाहयामि, स्थापयामि ।
10. ॐ स्वाहायै नमः, स्वाहामावाहयामि, स्थापयामि ।
11. ॐ मातृभ्यो नमः, मातृः आवाहयामि, स्थापयामि ।
12. ॐ लोकमातृभ्यो नमः, लोकमातृः आवाहयामि, स्थापयामि ।
13. ॐ धृत्यै नमः, धृतिमावाहयामि, स्थापयामि ।
14. ॐ पुष्टयै नमः, पुष्टिमावाहयामि, स्थापयामि ।
15. ॐ तुष्टयै नमः, तुष्टिमावाहयामि, स्थापयामि.
16. ॐ आत्मनः कुलदेवतायै नमः, आत्मनः कुलदेतामावाहयामि, स्थापयामि ।
षोडशमातृकाओं की स्थापना के लिए फर्श पर वृत्ताकार मंडल बनाया जाता है। इस आकृति में सोलह कोष्ठक (खाने) बनाए जाते हैं। पश्चिम दिशा से पूर्व दिशा की ओर मातृकाओं की स्थापना करें। प्रत्येक कोष्ठक में अक्षत, जौ, गेहूँ रखें।
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