वह भी नागपंचमी के दिन, इसलिए नागराज तक्षक के दर्शन बेहद दुर्लभ माने जाते हैं। मंदिर के पट खुलने के दौरान दूरदराज से आने वाले भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। एक अनुमान के अनुसार इस दिन चौबीस घंटों के भीतर ही डेढ़ लाख श्रद्धालु नागराज के दर्शन कर लेते हैं।
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यह मंदिर काफी प्राचीन है। माना जाता है कि परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी के लगभग इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था। इसके बाद सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। उस समय इस मंदिर का भी जीर्णोद्धार हुआ था। कहा जाता है इस मंदिर में दर्शन करने के बाद व्यक्ति किसी भी तरह के सर्पदोष से मुक्त हो जाता है, इसलिए नागपंचमी के दिन खुलने वाले इस मंदिर के बाहर भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है। सभी की यही मनोकामना रहती है कि नागराज पर विराजे शिवशंभु की उन्हें एक झलक मिल जाए।
कब जाएँ- इस मंदिर के दर्शन करने हैं तो नागपंचमी का दिन ही उचित है, क्योंकि इस दिन के अलावा सालभर इस मंदिर के पट बंद रहते हैं। यदि उज्जैन दर्शन करना है तो नागपंचमी से कुछ दिन पहले या बाद का समय चुनें ताकि नागराज ,तक्षक के दर्शन भी हो सकें।
कैसे जाएँ- सड़क मार्ग से - उज्जैन-आगरा-कोटा-जयपुर मार्ग, उज्जैन-बदनावर-रतलाम-चित्तौड़ मार्ग, उज्जैन-मक्सी-शाजापुर-ग्वालियर-दिल्ली मार्ग, उज्जैन-देवास-भोपाल मार्ग, उज्जैन-धुलिया-नासिक-मुंबई मार्ग।
वायुमार्ग- उज्जैन से इंदौर एयरपोर्ट लगभग 65 किलोमीटर दूर है।
कहाँ ठहरें - उज्जैन में अच्छे होटलों से लेकर आम धर्मशाला तक सभी उपलब्ध हैं। इसके साथ-साथ महाकाल समिति की महाकाल और हरसिद्धि मंदिर के पास अच्छी धर्मशालाएँ हैं। इन धर्मशालाओं में एसी, नॉन एसी रूम और डारमेट्री उपलब्ध हैं। मंदिर प्रबंध समिति इनका अच्छा रखरखाव करती है।
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