सोमवार, 24 नवंबर 2008

नागचंद्रेश्वर मंदिर (उज्जैन)

महाकाल की नगरिया उज्जैन को मंदिरों का शहर कहा जाता है। यूँ तो इस शहर की हर गली में एक नया मंदिर है, लेकिन मंदिरों की ख़ूबसूरत छटा के बीच में नागचंद्रेश्वर मंदिर की आभा बेहद निराली है। महाकाल मंदिर के शिखर पर बने इस मंदिर की खासियत यह है कि इस मंदिर के पट साल में एक बार ही खुलते हैं।

वह भी नागपंचमी के दिन, इसलिए नागराज तक्षक के दर्शन बेहद दुर्लभ माने जाते हैं। मंदिर के पट खुलने के दौरान दूरदराज से आने वाले भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। एक अनुमान के अनुसार इस दिन चौबीस घंटों के भीतर ही डेढ़ लाख श्रद्धालु नागराज के दर्शन कर लेते हैं।

पौराणिक मान्यता
सर्पराज तक्षक ने शिवशंकर को मनाने के लिए घोर तपस्या की थी। तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न हुए औरउन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया। मान्यता है कि उसके बाद से तक्षक राजा नेप्रभु के सान्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया ‍‍‍

मंदिर में शिवशंभु की अद्‍भुत प्रतिमा विराजमान है। इस प्रतिमा में शिवजी अपने पूरे परिवार के साथ नाग सिंहासन पर आसीन हैं। माना जाता है कि पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में शिवजी, गणेशजी और माँ पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं। शिवशंभु के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं।




यह मंदिर काफी प्राचीन है। माना जाता है कि परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी के लगभग इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था। इसके बाद सिं‍धिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। उस समय इस मंदिर का भी जीर्णोद्धार हुआ था। कहा जाता है इस मंदिर में दर्शन करने के बाद व्यक्ति किसी भी तरह के सर्पदोष से मुक्त हो जाता है, इसलिए नागपंचमी के दिन खुलने वाले इस मंदिर के बाहर भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है। सभी की यही मनोकामना रहती है कि नागराज पर विराजे शिवशंभु की उन्हें एक झलक मिल जाए।

कब जाएँ- इस मंदिर के दर्शन करने हैं तो नागपंचमी का दिन ही उचित है, क्योंकि इस दिन के अलावा सालभर इस मंदिर के पट बंद रहते हैं। यदि उज्जैन दर्शन करना है तो नागपंचमी से कुछ दिन पहले या बाद का समय चुनें ताकि नागराज ,तक्षक के दर्शन भी हो सकें।

कैसे जाएँ- सड़क मार्ग से - उज्जैन-आगरा-कोटा-जयपुर मार्ग, उज्जैन-बदनावर-रतलाम-चित्तौड़ मार्ग, उज्जैन-मक्सी-शाजापुर-ग्वालियर-दिल्ली मार्ग, उज्जैन-देवास-भोपाल मार्ग, उज्जैन-धुलिया-नासिक-मुंबई मार्ग


रेल मार्ग- उज्जैन से मक्सी-भोपाल मार्ग (दिल्ली-नागपुर लाइन), उज्जैन-नागदा-रतलाम मार्ग (मुंबई-दिल्ली लाइन), उज्जैन-इंदौमार्ग (मीटरगेज से खंडवा लाइन), उज्जैन-मक्सी-ग्वालियर-दिल्ली मार्
वायुमार्ग- उज्जैन सइंदौर एयरपोर्ट लगभग 65 किलोमीटर दूर है।

कहाँ ठहरें - उज्जैन में अच्छे होटलों से लेकर आम धर्मशाला तक सभउपलब्ध हैं। इसके साथ-साथ महाकाल समिति की महाकाल और हरसिद्धि मंदिर के पास अच्छधर्मशालाएँ हैं। इन धर्मशालाओं में एसी, नॉन एसी रूम और डारमेट्री उपलब्ध हैंमंदिर प्रबंध समिति इनका अच्छा रखरखाव करती है।

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