यहां के लोगों की मान्यता है कि इस प्राकृतिक शिवलिंग में साक्षात भगवान शंकर विराजमान हैं। शिवलिंग कितना पुराना है? इसके बारे में स्पष्ट रूप से तो कुछ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन इस बारे में यहां एक दंत कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि इस शिवलिंग को क्षेत्र के ही गांव अगार वलिया के एक जमींदार ने सबसे पहले तब देखा था, जब इस इलाके में कोई आबादी न थी। उस समय इस इलाके में घना जंगल हुआ करता था। जमींदार ने अपने मवेशियों को चराने के लिए एक ग्वाला रखा था। जमींदार की एक गाय दूध नहीं दे रही थी, इसलिए जमींदार को ग्वाले पर शक हुआ। इसकी जांच के लिए एक दिन जमींदार ने छुपते-छुपाते ग्वाले का उस समय पीछा किया जब वह मवेशियों को चराने जा रहा था। वहां जमींदार ने देखा कि उक्त गाय अन्य मवेशियों से अलग होकर एक तरफ बढ़ गई। गाय का पीछा करने पर जमींदार ने देखा कि गाय जमीन पर उभरे एक शिवलिंग के पास खड़ी हो गई और अपने-आप उसके थन से दूध की धारा निकलकर शिवलिंग पर गिरने लगी। सारा दूध शिवलिंग पर चढ़ाने के बाद गाय वहां से वापस लौट आई। उस शाम को गाय ने जमींदार के घर इतना दूध दिया कि मानों कई दिनों का दूध एक ही समय में उतर आया। इसके बाद जमींदार रोजाना गाय का दूध ले जाकर उस शिवलिंग पर चढ़ाने लगा। शिवरात्रि के दिन वहां नीवं पत्थर रखकर जमींदार ने मंदिर का निर्माण शुरू कराया। चूना व माश की दाल के मिश्रण से दीवारें तैयार की गई। तभी एक अदभुत घटना घटी। मंदिर की दीवारें दरवाजे तक पहुंचते ही गिर जाती थी। एक रात भगवान शंकर ने उसे स्वप्न में मंदिर का मुख उत्तर दिशा की तरफ रखने को कहा। जमींदार ने ऐसा ही किया और उसके बाद काम पूरा करने में कोई अड़चन नहीं आई और पहली बैसाखी को मंदिर का निर्माण पूरा हुआ। तब से प्रत्येक वर्ष वहा पहली बैसाखी को प्रसाद बांटा जाने लगा। आहिस्ता-आहिस्ता वह मेले में रूप में बदल गया। आज भी वहां प्रत्येक वर्ष पहली बैसाखी को मेला लगता है।
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7 टिप्पणियां:
आपका लेख पढ़कर हम और अन्य ब्लॉगर्स बार-बार तारीफ़ करना चाहेंगे पर ये वर्ड वेरिफिकेशन (Word Verification) बीच में दीवार बन जाता है.
आप यदि इसे कृपा करके हटा दें, तो हमारे लिए आपकी तारीफ़ करना आसान हो जायेगा.
इसके लिए आप अपने ब्लॉग के डैशबोर्ड (dashboard) में जाएँ, फ़िर settings, फ़िर comments, फ़िर { Show word verification for comments? } नीचे से तीसरा प्रश्न है ,
उसमें 'yes' पर tick है, उसे आप 'no' कर दें और नीचे का लाल बटन 'save settings' क्लिक कर दें. बस काम हो गया.
आप भी न, एकदम्मे स्मार्ट हो.
और भी खेल-तमाशे सीखें सिर्फ़ 'ब्लॉग्स पण्डित' पर.
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लिए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com
हिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका स्वागत है।
अच्छा ब्लोग है।आशा है इसी तरह जानकारी भरे लेख पढ़्ने को मिलते रहेगें।
बहुत अच्छा लिखा है। इस बलाग जगत में आपका स्वागत
http://ucohindi.co.nr/
हिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में ब्लॉग का हार्दिक स्वागत करता है. इच्छा है कि आपका यह ब्लॉग सफलता की नई ऊँचाइ को छुए,प्रेरणादायी और लोकप्रिय बने.
शुभकामनाएं !!!!
प्रवीण त्रिवेदी / PRAVEEN TRIVEDI
प्राइमरी का मास्टर
हिन्दी चिठ्ठा विश्व में आपका हार्दिक स्वागत है, खूब लिखें… शुभकामनायें… एक अर्ज है कि कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें, टिप्पणी करने में रुकावट बनती है और इसकी कोई जरूरत भी नहीं है… धन्यवाद…
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