
कुल्लू से आठ किलोमीटर दूर खराल घाटी में स्थित चमत्कारी बिजली महादेव का मंदिर स्थित है। इस मंदिर के बारे में कई पौराणिक मान्यताएं प्रचलित है। कहा जाता है कि जो भी इस मंदिर में दर्शन के लिए आता है, उसके जीवन भर के पाप खत्म हो जाते हैं।
एक प्रचलित मान्यता के अनुसार ऋषि वशिष्ठ ने भगवान रूद्र से प्रार्थना की कि वे अपनी अंदर की ऊर्जा को कम करें, ताकि महाविनाश से बचा जा सके।
भगवान रूद्र ने मानव कल्याण के लिए अपनी ऊर्जा अंदर सोख ली। यह घटना पार्वती और व्यास नदी के संगम पर हुई थी, इसलिए यहां भगवान शंकर का मंदिर बनाया गया और नाम रखा गया बिजलेश्वर महादेव।
एक अन्य कथा के अनुसार पहाड़ों पर कुलंत राक्षस का उत्पात मचा रखा था। ऋषि- मुनियों ने इस राक्षस को मारने के लिए देवताओं से प्रार्थना की। देवताओं ने इस राक्षस की सेना को तो खत्म कर दिया, लेकिन राक्षस भाग खड़ा हुआ।
इसके बाद देवताओं ने इस राक्षस को खत्म करने के लिए भगवान शंकर से प्रार्थना की। भगवान ने बार-बार आकाशीय बिजली गिराई। मानव जीवन को बचाने के लिए भगवान ने शिवलिंग स्थापित कर खुद बिजली के प्रहार झेलने शुरू किए। तभी से यह शिवलिंग बिजली के प्रहार झेल रहा है।
एक प्रचलित मान्यता के अनुसार ऋषि वशिष्ठ ने भगवान रूद्र से प्रार्थना की कि वे अपनी अंदर की ऊर्जा को कम करें, ताकि महाविनाश से बचा जा सके।
भगवान रूद्र ने मानव कल्याण के लिए अपनी ऊर्जा अंदर सोख ली। यह घटना पार्वती और व्यास नदी के संगम पर हुई थी, इसलिए यहां भगवान शंकर का मंदिर बनाया गया और नाम रखा गया बिजलेश्वर महादेव।
एक अन्य कथा के अनुसार पहाड़ों पर कुलंत राक्षस का उत्पात मचा रखा था। ऋषि- मुनियों ने इस राक्षस को मारने के लिए देवताओं से प्रार्थना की। देवताओं ने इस राक्षस की सेना को तो खत्म कर दिया, लेकिन राक्षस भाग खड़ा हुआ।
इसके बाद देवताओं ने इस राक्षस को खत्म करने के लिए भगवान शंकर से प्रार्थना की। भगवान ने बार-बार आकाशीय बिजली गिराई। मानव जीवन को बचाने के लिए भगवान ने शिवलिंग स्थापित कर खुद बिजली के प्रहार झेलने शुरू किए। तभी से यह शिवलिंग बिजली के प्रहार झेल रहा है।
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