नागनाथ
हिल्दू समाज में देवी देवताओं के अलावा नाग पूजा का अपना अलग स्थान है यहां पर वासुकी नाग की तरह नागनाथ की पूजा हेतु मंदिर की स्थापना वर्तमान तहसील कार्यालय के समीप ही की गयी है जिसमें स्थानीय रूप से पूजा अर्चना के साथ&साथ पर्यटकों का काफी संख्या में आवागमन रहता है
दीप्तेश्वर महादेव
शहर से 2किमी दूर पूर्व भी तरह चम्पावत पिथौरागढ मार्ग से मात्र् 1 किमी, दूर स्थित है उत्तर वाहनी गंडकी नदी के किनारे पर बसा बहुत संदर स्थान है यहां श्रद्वा से पूजा पाठ करने पर भाग्यवश दीप के दर्शन होते है यहां पर शिव गाथा काफी जाग्रत है
ताडकेश्वर महादेव
चम्पावत मुख्यालय से 5 किमी चम्पावत टनकपुर मुख्य मोटर मार्ग के किनारे पर स्थित है भगवान शिव का बहुत ही प्राचीन मंदिर है चम्पावत नगर तथा ग्रामीण क्षेत्र् का श्मशान घाट भी है शासन द्वारा इसी के बगल पर शीतल मत्स्य पालन केन्द्र तथा कोल्ड स्टोर भी बनाया है प्राचीन मान्यताऔं के अनुसार यहां पर स्थ्ति सीताकुन्ड में नहाने का बडा भारी महत्व है
सप्तेश्वर
यह स्थान चम्पावत से 14 किमी, दूर है यहा पर शिव का काफी सुन्दर मन्दिर है यहां पर अब एक लधु विधुत ग्रह भी है धार्मिक व पर्यटन की द्रष्टि से इसे विकसित किया जा सकता है
क्रान्तेश्वर महादेव
यहां पर कूर्म पर्वत के शखिर पर बहुत ही सुंदर भव्य मंदिर बना है ऐसा माना जाता है कि कूर्म पर्वत के नाम पर ही कुमायु शब्द बना है कुमार शब्द संस्क्रत के कूर्म शब्द का ही अपभ्रंश है माना जाता है कि भगवान विष्णु का कूर्म अवतार इसी क्षेत्र् में हुआ था जहा एक शिला पर भगवान विष्णु के पद चिन्ह आज भी दिखाई देते है इन्ही पद चिन्हों की पूजा की जाती है स्कंन्द पुराण में भी इसका वर्णन है स्कन्ध पुराण के खण्ड में भी कूर्म नाम के इस पर्वत का नाम आया है शहर से 6 किमी तथा यमुद्र तल से 6000 फीट उंचाई पर बसा है यहा से पूरे चम्पावत जनपद का द्रश्य बहुत ही सुदर दिखाई देता है मैदानी क्षेत्र् का भू- भाग भी यहा से द्रष्टिगोचर होता है संचलान समिति का गठन नही हुआ है
ऋखेश्वर महादेव
यह चम्पावत मुख्यालय से 12 किमी दूर लोहाघट नगर के पास स्थित है यहा शिव मंदिर के अलावा कई देवी देवताओं के भव्य मंदिर बने है धार्मिक एंव पर्यटन की द`ष्टि से यह स्थान बहुत ही सुन्दर है स्नान करने के लिए घाट बने है यह लोहाघाट वासियो का सम्शान घाट भी है
मानेश्वर महादेव
शिखर पर बना मंदिर काफी प्राचीन है चम्पावत शहर से करीब 7 किमी दूर चम्पावत – पिधौरागढ मोटर मार्ग से 1 किमी की दूरी पर प्राक़तिक सुषमायुक्त पर्वत शिखर पर बसा है कहावत है कि जब पांडव लोग अपने पितरो का श्राद्व करने मान सरोवर को जा रहे थे तब इस स्थान पर पहुचते –पहुचते श्रधा का दिन आ गया तब पांडव पुत्र् अर्जुन ने अपने गान्डीव से बाण मार चला कर जल धारा उत्तपन्न की व पितरों का श्राध तर्पण किया उसी वाण की गंगा से एक नौला वावली बना जो हमेशा जल से भरी रहती है इसका पानी अम़त तुल्य माना जाता है इस वावरी के जल से स्नान करने का अपना अलग ही आनन्द तथा महात्मय है यहां से चम्पावत शहर का द़श्य बहुत ही सुन्दर दि खाई देता है
मागेश्वर महादेव
देवदार बनी के बीचों-बीच पैडी के ऊपर बना शिव – मन्दिर बहुत ही सुंदर है रहने के लिए धर्मशाला है यहां यात्रीयों को फल-फूल खाकर ही पूजा पाठ करनी पडती है नमक तथा अनाज वर्जित है यहां चम्पावत से पैदल जाया जाता है मोटर सडक चम्पावत –खेतीखान से 2 किमी की दूरी पर है स्थान बडा ही रमणीय है
गोरखनाथ
गुरू गोरखनाथ की तप स्थली, आध्यात्मिक शांति पीठ प्राक़तिक सौन्दर्य से भरपूर्व पर्वत के शिखर पर स्थित है चारों तरफ हरितिमा लिए चारागाह तथा वन्य जीव जन्तुओं की शरण स्थली आने वाले यात्रियों के लिए एक अदभुत वैकुण्ड धाम प्रतित होती है यहां वन्य जीव जन्तुओं को स्वछन्द विचरण करते देखा जा सकता है यहॉं पर भगवान गोरखनाथ की धूनी हमेशा जलती रहती है इसी राख का प्रसाद श्रद्वालुओं को दिया जाता है प्राचीन जल कुण्ड बने है जो वर्षाती पानी से भरे रहते हैं यह क्षेत्र् चम्पावत से 45 कि.मी. की दूरी पर मोटर मार्ग से मात्र् 3 कि.मी. की दूरी पर स्थित है
हरेश्वर महादेव
चम्पावत से पूर्व की ओर चम्पावत- तामली मोटर मार्ग के मौन पोखरी स्थान से 5 कि.मी. की दूरी पर स्थित है यहां पर महादेव भगवान शिव का मन्दिर है मान्यता के अनुसार ये बडे न्याय प्रिय देवता हैं यहां स्टाम्पयुक्त अजियों टंगी रहती है शिवालय व धमैशला बनी हैं
मल्लाणेश्वर
यह स्थान चम्पावत से 12 कि.मी. दूरी पूर्व की तरफ देवदार बनी के बीच नदी के किनारे चम्पावत- तामली मोटर मार्ग में बसा है मान्यता के अनुसार यह भी न्याय के लिए प्रसिद्व देव हैं यहॉं पर नहाने आदि का सुन्दर स्थान व व्यवस्था है
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