बुधवार, 24 दिसंबर 2008

भगवान शिव को सर्वाधिक प्रिय

• अखण्ड बिल्वपत्र भगवान शिव को अत्यन्त प्रिय है। जो श्रध्दापूर्वक नम: शिवाय मंत्र जाप करते हुए शिव लिंग पर बेलपत्र अर्पित करता है वह सभी पापों से मुक्त हो शिव के परमधाम में स्थान पाता है। यहाँ तक कि बिल्वपत्र के दर्शन, स्पर्श व वंदना से ही दिन-रात के किये पापों से छुटकारा मिल जाता है।
• इसके अलावा भगवन् भोलेनाथ को आक-धतूरा विजया भांग आदि भी अति प्रिय हैं।
• पत्र, पुष्प, फल अथवा स्वच्छ जल तथा कनेर से भी भगवान् शिव की पूजा करके मनुष्य उन्हीं के समान हो जाता है। आक (मदार) का फूल कनेर से दसगुना श्रेष्ठ माना गया है।
• आक के फूल से भी दस गुना श्रेष्ठ है धतूरे आदि का फल। नील कमल एक हजार कह्लार (कचनार) से भी श्रेष्ठ माना गया है।
• शिवरात्रि व्रत करते हुए शिवोपासना से मनुष्य के त्रिविध तापों का शमन हो जाता है, संकटव कष्ट के बादल छंट जाते हैं, कर्मज व्याधियों व ग्रह बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है। इससे अकाल मृत्यु को टाला जा सकता है, मोक्ष प्राप्ति होती है। इस पर्व पर मनुष्य जिस मनोकामना से जिस रूप में शिव की आराधना करता है वह पूरी होती है और भोले शंकर उसी रूप में प्रसन्न होकर फल भी प्रदान करते हैं।
• जो व्यक्ति रोग ग्रस्त होकर बिस्तर पर पड़ा है, वह भी महामृत्युंजय के जाप से अपने को स्वस्थ अनुभव करने लगता है।
• घर में कलह, व्यापार में मंदी, कुसंतान, रोग, भाग्य में रूकावट, भाइयों में मतभेद आदि हो तब भी मनुष्य को शिवरात्रि के दिन कालसर्प शांति अवश्य करवा लेनी चाहिए। इस प्रकार की बाधाओं से मुक्ति के लिए शिवरात्रि से बढ़कर दूसरा उत्तम मुहूर्त नहीं।
• जिन व्यक्तियों को ‘शनि की साढेसाती’ प्रतिकूलता का संकेत दे रही हो उसका शमन शिव आराधना के द्वारा बड़ी सरलता से किया जा सकता है, उसके अलावा और कोई दूसरी आराधना उसे सरलता से शांत नहीं कर सकती।
• शिव गृहस्थ जीवन के आदर्श है जो अनासक्त रहते हुए भी पूर्ण गृहस्थ स्वरूप हैं। इनकी आराधना से मनुष्य के गृहस्थ जीवन में अनुकूलता प्राप्त होती है और वह सुखमय गृहस्थी का स्वामी बनता है।
• भगवान शिव सौभाग्य दायक हैं। अत: इस रात्रि में कुंवारी कन्या द्वारा इनकी आराधना करने से उसे मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है।
• जो स्त्री संतान सुख की कामना से शिवरात्रि पर शिव की पूजा अर्चना करती है उसे शिव कृपा से संतान की भी प्राप्ति होती है, क्योंकि शिव पुत्र प्रदान करने वाले देवता हैं।
• भगवान शिव परमपिता परमात्मा के सम्पूर्ण स्वरूप है इसलिए इनकी आराधना जीवन पर्यन्त की जाती है और विशेषकर शिवरात्रि पर इनकी आराधना से व्यक्ति अपने इष्ट के दर्शन पाकर धन्य हो जाता है एवं उसके समस्त मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं।

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