सोमवार, 29 दिसंबर 2008

दहताल के बीचोबीच पानी में सैदनाथ का अद्भुत शिवलिंग (बलिया उत्तर प्रदेश)

भगवान सैदनाथ के अद्भुत शिवलिंग के दर्शन पूजन से लोगों की मनोकामनायें पूर्ण होती हैं। यह शिवलिंग तहसील मुख्यालय से पश्चिम व उत्तर में दहताल के उस पार सैदपुरा शिवालय में स्थित है। इस सम्बंध में यहां के बुजुर्गो का कहना है कि दहताल पर पुल नहीं होने के कारण इस क्षेत्र में लोगों का आने का एक मात्र साधन नाव से दहताल को पार करके ही आना पड़ता था और यह क्षेत्र वनों से आक्षादित था बहुत पहले इस क्षेत्र के जमींदार ब्राह्माण परिवार के मुखिया ने इस शिवलिंग को बनों के बीच देखा और अद्भुत लगने वाले पत्थर के शिवलिंग को खोदवाकर कहीं अन्यत्र स्थापित कराने के विचार से खोदवाना शुरू कर दिया। खुदाई होती रही लेकिन उसका मूल नहीं पता लगा। एक रात जमींदार ब्राह्माण को रात में स्वप्न में आया कि बेकार परेशान न हों हमें इसी बन में ही रहने दो। तब से अबतक छोटा सा मंदिर बनाकर सैदनाथ मंदिर पर श्रद्धालु पूजा करते आ रहे हैं। धीरे-धीरे भगवान शिव के मंदिर पर आस्था भारी पड़ी और आस्थावानों की भीड़ लगी रहती है। जो भी मन्नत मानी जाती है सैदनाथ महादेव पूर्ण भी करते हैं। यहां माह में पूर्ण होने वालों का हरिकीर्तन होता रहता है। इसका ताजा उदाहरण कोड़र निवासी कैलाश मल्लाह है। किसी बात को लेकर सैदनाथ महादेव मंदिर में गये जहां वह मंदिर की दीवार से चिपक रहे वहीं 30 जुलाई 1990 को मंदिर के पास असंख्य सर्प दिखे जो मंदिर की परिक्रमा कर फिर अंतरध्यान हो गये।

इस क्षेत्र में शिवालयों की अधिकता है और सरयू एवं गंगा के मध्य जाने वाले मार्गो पर नाथ मंदिरों की एक लम्बी श्रृंखला है उन्हीं श्रृंखला में सैदनाथ मंदिर, मझोस में मझोसनाथ, राजपुर में अवनीनाथ, दिउली में बालखण्डीनाथ, छितौनी में छितेश्वरनाथ, असेगा शोकहरण नाथ जो नाथ मंदिरों के घेरा में स्थापित हैं। यहां सावन में पूजन करने से लोगों की मनोकामना पूर्ण होती है। सैदनाथ मंदिर के क्षेत्र को रमणीक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की बात भी स्थानीय लोगों द्वारा उठायी जाती रही है, कारण कि प्रसिद्ध ताल दहताल इस मंदिर के चारों तरफ घेरे है और इस दहताल के सम्बंध में जानकार लोगों का कहना है कि गोखर जैसा ताल है जिसका पानी कभी प्रदूषित अब तक नहीं हुआ।

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