


काशीपुर बस स्टैण्ड से बाज़पुर की ओर 2 किलोमीटर की दूरी पर प्रसिद्ध मोटेश्वर महादेव मन्दिर स्थित है। प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में शिवभक्त कांवरिये ‘बम भोले’ का सामूहिक जयकारा लगाते हुए बहुत दूर से पैदल यात्रा करके यहां आकर भगवान शिव को पवित्र जल चढ़ाते हैं । इसी मन्दिर के पूर्व में एक भैरव मन्दिर स्थित है। इस मन्दिर में मनोकामना कुण्ड नामक एक तालाब स्थित है। कुछ विद्वान मानते हैं कि यहां स्थित शिवलिंग साक्षात ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर है। ऐसा माना जाता है कि यह वही स्थान है जहां पर गुरू द्रोणाचार्य पाण्डवों और कौरवों को धनुर्विद्या की शिक्षा देते थे। एक बार भीम को शिवलिंग की तरह दिखाई देने वाला एक पत्थर मिला। भीम ने गुरू द्रोणाचार्य को इस सन्दर्भ में बताया तो उन्होंने उसे सलाह दी कि वह इस शिवलिंग की शिव पूजा के लिए धार्मिक रीति-रिवाजों सहित उचित स्थान पर स्थापना करे। हिन्दु समुदाय में इस जगह के लिए एक विशेष आदर भाव है। यहां आकर लोग भगवान शिव की पूजा आराधना करते हैं। भीम की वजह से ही इस मन्दिर का नाम भीमाशंकर पड़ा। यहां पर स्थापित शिवलिंग के आकार में सामान्य से अधिक बड़ा होने के कारण इस भीमाशंकर मन्दिर को मोटे भगवान या मोटेश्वर महादेव मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है। चैत्र-शुक्ल की अष्टमी और शिवरात्रि के दिन यहां पर एक बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है।
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