सोमवार, 27 अप्रैल 2009

शैव हिन्दू धर्म का एक पंथ

1.

शिव के सभी अनुयायियों का विश्वास है कि भगवान शिव ईश्वर हैं, जिनकी परम सत्ता, पराशिव, दिक्काल और रुप से परे है। योगी मौन रुप से उसे "नेति नेति" कहते हैं। जी हाँ, भगवान शिव ऐसे ही अबोधगम्य भगवान हैं। ॐ

2.

शिव के सभी अनुयायियों का विश्वाश है कि भगवान शिव ईश्वर हैं, जिनके प्रेम की सर्वव्यापी प्राकृति, पराशक्ति, आधारभूत, मूल तत्व या शुद्ध चेतना है, जो सभी स्वरुपों से ऊर्जा, अस्तित्व, ज्ञान और परमानन्द के रुप में बहती रहती है। ॐ

3.

शिव के सभी अनुयायियों का विश्वास है कि भगवान शिव ईश्वर हैं , जिनकी सर्वव्यापी प्रकृति परम् आत्मा, सर्वोपरि महादेव, परमेश्वर, वेदों एवं आगमों की प्रणेता तथा सभी सत्ताओं की कर्ता भर्ता एवं हर्ता हैं। ॐ

4.

शिव के सभी अनुयायी शिव-शक्ति के पुत्र महादेव भगवान गणेश में विश्वास करते हैं तथा कोई भी पूजा या कार्य प्रारंभ करने से पूर्व उनकी पूजा अवश्य करते हैं। उनका नियम सहानुभूतिशील है। उनका विधान न्यायपूर्ण है। न्याय ही उनका मन है। ॐ

5.

शिव के सभी अनुयायी शिव - शक्ति के पुत्र महादेव कार्तिकेय में विश्वास करते हैं, जिनकी कृपा का वेल अज्ञान के बंधन को नष्ट कर देता है। योगी पद्मासन में बैठकर मुरूगन की उपासना करते हैं। इस आत्मसंयम से, उनका मन शांत हो जाता है। ॐ

6.

शिव के सभी अनुयायियों का विश्वास है कि सभी आत्माओं की रचना भगवान शिव ने की है और वे तद्रूप (उन्ही जैसी) हैं तथा जब उनकी कृपा से अणव, कर्म और माया दूर हो जाएगी, तो सभी आत्माएं इस तद्रूपता का पूर्ण साक्षात्कार कर लेंगी। ॐ

7.

शिव के सभी अनुयायी तीन लोकों में विश्वास करते हैं: स्थूल लोक (भूलोक), जहां सभी आत्माएं भौतिक शरीर धारण करती हैं, सूक्ष्म लोक (अंतर्लोक) जहां आत्माएं सूक्ष्म शरीर धारण करती हैं, तथा कारण लोक (शिवलोक) जहां आत्माएं अपने स्व-प्रकाशमान स्परुप में विद्यमान रहती हैं। ऊँ

8.

शिव के सभी अनुयायी कर्म के विधान में विश्वास करते हैं - कि सबको अपने सभी कर्मों का फल अवश्य मिलता है - और यह कि सभी कर्मों के नष्ट होने तक और मोक्ष या निर्वाण प्राप्त होने तक सभी आत्मा बार-बार शरीर धारण करती रहती हैं। ॐ

9.

शिव के सभी अनुयायियों का विश्वास है कि ज्ञान या प्रज्ञा प्राप्त करने के लिए चर्या या धार्मिक जीवन, क्रिया या मंदिर में पूजा और जीवित सत्गुरू की कृपा से योगाभ्यास अत्यावश्यक है, जो पराशिव की और ले जाता है। ॐ

10.

शिव के सभी अनुयायियों का विश्वास है अशुभ या अमंगल का कोई तात्त्विक अस्तित्व नहीं है। जब तक अशुभ के आभास का स्रोत अज्ञान स्वयं न हो, अशुभ का कोई स्रोत नहीं है। शैव हिन्दू वास्तव में दयालु होते हैं, वे जानते हैं कि अन्ततः कुछ भी शुभ या अशुभ नहीं है। सबकुछ शिव की इच्छा है। ॐ

11.

शिव के सभी अनुयायियों का विश्वास है कि तीनों लोकों द्वारा सामंजस्यपूर्वक एकसाथ कार्य करना धर्म है और यह कि यह सामंजस्य मंदिर में पूजा करके उत्पन्न किया जा सकता है, जहां पर तीनों लोकों की सत्ताएं संप्रेषण कर सकती हैं। ॐ

12.

शिव के सभी अनुयायी पंचाक्षर मंत्र, पांच पवित्र अक्षरों से बने मंत्र "नमः शिवाय" में विश्वास करते हैं, जो शैव संप्रदाय का प्रमुख और अनिवार्य मंत्र है। "नमः शिवाय" का रहस्य इसे सही होठों से सही समय पर सुनना है। ॐ

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