शिव ने प्रसन्न होकर उससे वर मांगने के लिए कहा। उसने वरदान मांगा कि तीनों लोकों में मेरा कोई शत्रु न बचे। मैं जिसके सिर पर हाथ रखूं, वह तुरंत भस्म हो जाए। शिव के तथास्तु कहते ही वह शिव भक्त भस्मासुर हो गया। छिपना पडा शिव को एक कथा के अनुसार, भस्मासुर शिव की त्रिकाल शक्तियों से परिचित था, इसलिए वह सबसे पहले शिव को ही भस्म करने के लिए उनके पीछे दौडा। भस्मासुर और शिव के बीच भयंकर युद्ध हुआ। इसलिए इस जगह का नाम पड गया रनसू[रणसू]। युद्ध में शंकर जी भस्मासुर को परास्त नहीं कर पाए और अपनी जान बचाने के लिए एक पहाड की ओर दौड पडे। विशाल पहाड को खोदते [बीच में से दो फाड करते] हुए उन्होंने एक गुफाबना ली और उसमें छुप कर बैठ गए। यही गुफाआज शिव खोडी[खोड] के नाम से प्रसिद्ध है। मोहिनी बने विष्णु कथा के अनुसार, उस समय समुद्र मंथन हो रहा था। देवताओं के हित के लिए विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर लिया था। शिवजी ने उन्हें अपनी रक्षा के लिए पुकारा। मोहिनी रूप धरे विष्णु जब उस गुफाके बाहर पहुंचे, तो भस्मासुर उन पर मोहित हो गया और उनके सामने शादी का प्रस्ताव पेश कर दिया। इस पर मोहिनी बने विष्णु ने उसे अपनी ही तरह नृत्य करने के लिए कहा।
मदमस्त भस्मासुर मोहिनी के इशारों पर नाचने लगा। नाचते-नाचते उसने नृत्य की एक मुद्रा में अपना हाथ अपने सिर के ऊपर रख दिया। शिव से मिले वरदान के कारण वह तुरंत भस्म हो गया। कैसे पहुंचें रनसूपहुंचने के लिए जम्मू से 127किलोमीटर या फिर कटडा से 75किलोमीटर का सफर तय करना पडता है। इसके लिए बसें और निजी टैक्सियां आसानी से उपलब्ध होती हैं। रनसूके बाद ४किलोमीटर की आसान चढाई पैदल ही तय करनी होती है। यह चढाई शिव खोडीगुफाके प्रवेश द्वार पर खत्म होती है।
लगभग आधा किलोमीटर की तंग सुरंग को पार करने के बाद हम गुफाके भीतर पहुंच पाते हैं। गुफामें शिव परिवार की पिंडियांमौजूद हैं। इन सभी पर पहाड से बूंद-बूंद कर जल टपकता रहता है। उनके साथ राम-सीता, पांचों पांडवों, सप्त ऋषि भी पिंडियोंके रूप में मौजूद हैं। पहाड का आकार कटोरे की तरह है, जिसमें लगातार जल गिरता रहता है। खास बात यह है कि शिव खोडीगुफाअंतहीनहै।
1 टिप्पणी:
कृष्ण निराश होकर लौट चुके हैं, संधि प्रस्ताव असफल हो चुका है . महाभारत का युद्ध टालने की सारी कोशिशें जब बेकार साबित हो गई तो अब सिवाय इसके कोई चारा नही बचा कि युद्ध की तैयारियां की जाये . प्रत्येक व्यक्ति अपने अपने स्तर पर मशगूल हो गया. अब कोई भी उपाय नही बचा कि इस विभीषिका से बचा जा सके . गांधारी और कुंती भी अपने अपने स्तर पर तैयारियों में सलंग्न हो गई .
दोनों ही , गांधारी और कुंती, राजमहल के पीछे दूर जंगल में बने शिव मन्दिर में राजोपचार विधि से, अपने अपने पुत्रो को राज्य दिलवाने की कामना से शिव पूजन करने लगी . कुछ दिन पश्चात भगवान् भोलेनाथ दोनों पर ही प्रशन्न हो गए और वर मांगने के लिए कहा . दोनों ही माताओं ने अपने अपने पुत्रो के लिए राज्य माँगा .
भगवान् शिव बोले – यह असंभव है . राज्य एक है तो दोनों को नही मिल सकता . एक काम करो एक पक्ष राज्य ले लो और दूसरा मोक्ष ले ले . आप लोग आपस में निर्णय कर लीजिये .
जब कुंती और गंधारी के समक्ष महादेव शिव ने रखी एक अनोखी शर्त, महाभारत की अनकही कथा !
एक टिप्पणी भेजें