शनिवार, 18 जुलाई 2009

महादेव महेश्वरः, कलानाट कपिलेश्वरः

महादेव महेश्वरः, कलानाट कपिलेश्वरः
नीलकंठ भूतेश्वरः, अंश ब्रह्म परमेश्वरः

देह लिपटे व्याघ्र चर्म, ग्रीवा-बंधन है भुजंग
त्रिशूल, डमरू धारे संग, विराजे बैल मेरूदण्ड
कैलाशपति सिद्धेश्वरः ............................

माथ शोभे चंद्रमा, जटा निवासे गंगा माँ
सेवा में नंदी रमा, संग-संग हैं अम्बे माँ
शम्भू अर्द्धनारीश्वरः ..........................

एकदा तुम ध्यानमग्न, कामदेव ने किया भग्न
तिस्त्र चक्षु पड़े अनंग, भया तत्क्षण वहीं भस्म
तंत्र सिद्धि योगेश्वरः ................................

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