बुधवार, 24 जून 2009

शिव शक्ति के विविध आयामोï का प्रयाग देवकली मंदिर (औरैया)


भगवान शंकर को 'शिवत्व' (कल्याणकारी) व 'तांडव' (संहारकारी) शक्तियोï का अधिष्ठïाता माना जाता है। भोलेनाथ की इन दोनोï मूल शक्तियोï के संगम का प्रतीक औरैया का देवकली मंदिर ऐतिहासिक धरोहर को अपने मेï संजोये हुए है। महाशिवरात्रि के पर्व पर यहां औरैया सहित आस-पास के जनपदोï से पचास हजार से अधिक श्रद्धालु महाकालेश्वर का पूजन-अर्चन करने आते हैï। श्रावण माह मेï यहां भक्तोï का मेला लगा रहता है।

ऐतिहासिक जानकारी के अनुसार कन्नौज के राजा जयचन्द्र ने अपनी पुत्री देवकला की स्मृति मेï इस मंदिर का निर्माण ग्यारहवीï शताब्दी मेï कराया था। किवंदतियोï के अनुसार कुछ लोग इसे शेरशाह सूरी द्वारा सैन्य विश्राम स्थल के रूप मेï निर्मित मानते हैï। समीप ही निर्मित शेरगढ़ घाट व समाप्त हो चुका शेरगढ़ गांव का इतिहास इस जनश्रुति के आधार माने जाते हैï। बताया जाता है कि कन्नौज के राजा जयचन्द्र ने अपनी बहन का विवाह जालौन जिले के विशोक देव से सन् 1125 मेï किया। उसकी ही यादगार मेï देवकला के नाम से देवकली गांव बसाया और वहां महाकालेश्वर मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर के प्रवेश द्वार पर मराठी लिपि मेï एक प्रस्तर खंड लगा है जिसके अनुसार इसका निर्माण गोविंद राव कोंकण ने संवत 1808 मेï कराया। कहते हैï कि मंदिर के ऊपर एक सूर्य चक्र लगा हुआ था जो सूर्य घूमने की दिशा मेï गति करता था। मंदिर के तीन ओर बने बुर्ज इसके दुर्ग के रूप मेï इस्तेमाल किए जाने की गवाही भी देते हैï। सन् 1857 के क्रांतिकारियोï निरंजन सिंह, कुंअर रूप सिंह, राम प्रसाद पाठक, प्रीतम सिंह आदि ने अंग्रेजी हुकूमत से संघर्ष करते समय मंदिर को अपनी आश्रय स्थली बनाया।

ऐतिहासिक प्रमाणोï की नजर मेï महाकालेश्वर की यह देवपीठ जो भी स्थान रखती हो मगर भक्तोï के लिए श्रद्धा, विश्वास का यह महाकेïद्र अलग ही महत्व रखता है। बताते चलें कि औरैया जनपद के जिला आंदोलन का सूत्रपात भी इसी ऐतिहासिक मंदिर से हुआ। आंदोलन की सफलता से भक्तोï के हृदय मेï भगवान शंकर के प्रति श्रद्धा चरमोत्कर्ष पर पहुंची। महाशिवरात्रि के पर्व पर भक्तोï की अपार भीड़ भगवान शिव का जलाभिषेक करके अपने परिवार के लिए सुख, समृद्धि की याचना करने हेतु प्रति वर्ष जुटती है।

सुविधाओï की ओर किसी का ध्यान नहीï

औरैया: अर्से से मंदिर की व्यवस्थाएं देख रहे स्वामी बच्ची लाल जी कहते हैï कि 14 सौ एकड़ जमीन इस मंदिर के तहत थी। किंतु सुविधाओï और समस्याओï तथा भूमि कटाव के चलते अब यह सिर्फ 27 एकड़ बची है। परिसर मेï चबूतरे की पूर्वी दीवार भी क्षतिग्रस्त है। आस-पास कई जगह पानी भर जाता है जिससे दीवारोï की क्षति हो रही है। पूर्व मेï यहां गौशाला निर्माण का कार्य शुरू किया गया था जो अभी तक अधूरा है, सावन मेï यहां बड़ी संख्या मेï श्रद्धालु आते हैï और मेले का भी आयोजन होता है इस दौरान पुलिस बल की मांग अक्सर पूरी नहीï की जाती है। सन् 1994 मेï तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने देवकली मंदिर को पर्यटक स्थल घोषित किया था और तब मंदिर क्षेत्र को विकसित करने के लिए कई योजनाएं संचालित की गयी थी जो सरकार चली जाने के बाद ठप हो गयी।

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